ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंश निम्नलिखित हैं-
(i) ऊर्जा उपयोग करने वाले उद्योगों, संस्थापित एवं व्यावसायिक भवनों के निर्धारित उपभोक्ताओं को ऊर्जा को संरक्षित करने के बारे में सूचित करना चाहिए।
(ii) नामित उपभोक्ताओं को ऊर्जा खपत के मानदण्डों (Norms) और मानकों (Standards) का निर्धारण करना चाहिए।
(iii) प्रत्यक्ष नामित उपभोक्ताओं के लिए दक्ष ऊर्जा उपयोग हेतु प्रमाणित ऊर्जा प्रबंधकों को नियुक्त करना चाहिए।
(iv) राज्य स्तरीय सरकार को क्षेत्रीय और स्थानीय मौसम की स्थितियों के आधार पर ऊर्जा संरक्षण भवन कोड को लागू करने का अनुरोध करना चाहिए।
(v) ऐसे उपकरणों और उपयंत्रों को जो मानक ऊर्जा खपत स्तर के नहीं हैं, के निर्माण, विक्रय, खरीदारी और आयात पर रोक लगानी चाहिए।
(vi ) व्यावसायिक भवनों के प्रत्यक्ष मालिकों को ऊर्जा संरक्षण भवन कोड के आदेश को मानना चाहिए।
(vii) समस्त उपयंत्रों और उपकरणों पर ऊर्जा खपत के मानकों को चस्पा देना चाहिए।
(viii) यदि ऊर्जा खपत के निर्धारित मानदण्डों और मानकों का उपयोग नहीं हो रहा हो तो ऊर्जा का दक्ष उपयोग और इसके संरक्षण के लिए योजना बनाकर उसे क्रियान्वित करना चाहिए।