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स्पाइरल मॉडल के लाभ
- सॉफ्टवेयर के विकास को प्रक्रिया तेज हो जाती है।
- बड़े प्रोजेक्ट या सॉफ्टवेयर को एक सही तरीके से संभाला जा सकता है।
- जोखिमों का बार-बार मूल्यांकन करके उन्हें कम किया जा सकता है।
- विकास के सभी चरणों की ओर नियन्त्रण रहता है।
- ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं को एक व्यवस्थित तरीके से जोड़ा जाता है।
- सॉफ्टवेयर का निर्माण जल्दी किया जा सकता है।
- • ग्राहकों की प्रतिक्रिया के लिए जगह है और परिवर्तन तेजी से लागू किए जाते हैं।
स्पाइरल मॉडल के हानि
- इस मॉडल के जरिये सॉफ्टवेयर का निर्माण महंगा हो सकता है।
- जोखिम विश्लेषण के लिए अधिक विशिष्ट विशेषज्ञता की आवश्यकता पड़ेगी।
- प्रॉजेक्ट की सफलता जोखिम विश्लेषण चरण पर अत्यधिक निर्भर रहती है।
- छोटे प्रॉजेक्ट के लिए ये अच्छा काम नहीं करता है।
- स्पाइरल लिमिट से बाहर जा सकता है।
- डॉक्यूमेंटेशन बहुत बढ़ जाती है क्यूंकि इसमें बीच में भी कई चरण आ जाते हैं।